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शासकीय गृहविज्ञान स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय नर्मदापुरम द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया।

नर्मदापुरम//मनीष जायसवाल

शासकीय गृहविज्ञान स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय नर्मदापुरम द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया।

आज दिनांक 28.05.2024 को शासकीय गृहविज्ञान स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय नर्मदा पुरम द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया।

प्राचार्य डॉ. श्रीमती कामिनी जैन ने बताया कि वह वेबीनार हेतु उच्च शिक्षा मध्यप्रदेश शासन द्वारा वित्तपोषित किया गया। इसके तारतम्य में शिक्षा में प्रौद्योगिकी की संभावना एवं महत्व विषय पर वेबीनार का आयोजन किया जा रहा है। जिसके लिए प्राचार्य द्वारा उच्च शिक्षा आयुक्त श्री निशांत बरबड़े एवं विशेष कर्तव्य अधिकारी डॉ. धीरेंद्र शुक्ला, अतिरिक्त संचालक डॉ. मथुरा प्रसाद को धन्यवाद प्रेषित किया गया। प्राचार्य ने कहा कि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस 11 मई को मनाया जाता है। भारत निरंतर नवाचार एवं शोध से पिछले एक दशक से ग्लोबल टेक्नो लीडर की भूमिका में आ गया है। आई टी से स्पेस तक 5 जी से ए. आई तक बेशुमार संभावना दिखने लगी है।

इस वेबीनार में तकनीकी विकास की इस नई उड़ान के विषय पर विषय विशेषज्ञों द्वारा अपने विचार व्यक्त किए जाएंगे जिसका लाभ निश्चित ही हमारे विद्यार्थी शोधार्थी तथा प्रतिभागियों को होगा।

आयोजन सचिव डॉ. रश्मि श्रीवास्तव ने विषय प्रवर्तन करते हुए इस वेबीनार के सार्थक पहलू पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी ने विद्यार्थियों को ऑनलाइन योग्यता प्राप्त करना और ऑनलाइन पाठ्य सामग्री प्रदान करने वाली संस्थान के माध्यम से शिक्षित करना संभव बना दिया है। प्रौद्योगिकी के विकास में बैंकिंग से लेकर हमारे संचार के तरीके तक हमारे जीवन के हर पहलू को प्रभावित किया है। वास्तव में प्रौद्योगिकी समाज को बनाए रखने का एक अभिन्न अंग बन गई है। इस अवसर पर वेबीनार शीर्षक पर आमंत्रित लगभग 25 शोध पत्रों को संकलित कर शोध जनरल इंटरनेशनल जनरल ऑफ़ भोपाल में प्रकाशित किया गया। जिसका इंपैक्ट फैक्टर 7.394 है। इस जनरल का विमोचन प्राचार्य एवं आयोजन समिति के सदस्यों द्वारा किया गया।

मुख्य वक्ता प्रोफेसर अदनान नेम प्रमुख अन्वेषक भुवनेश्वर ने अपने व्याख्यान को पीपीटी के माध्यम से प्रस्तुत करते हुए कहा कि आधुनिक प्रौद्योगिकी और आविष्कारों का मानव जीवन पर प्रभाव पड़ता है। निडील फ्री टेक्नालॉजी एवं डिजीटल हेल्थ कार्ड के बारे में विस्तार से बताया। टीसेल थेरेपी के बारे में बताते हुए केंसर के इलाज में इसकी भूमिका पर प्रकाश डाला। जीन थेरेपी, सेल थेरेपी का उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार में उपयोगी हो रहा है। आई आई टी कानपुर द्वारा हृदय यंत्र बनाया गया जिसका क्लिीनीकल ट्रायल चल रहा है।

 

विषय विशेषज्ञ डॉ. गरिमा श्रीवास्तव प्राध्यापक वनस्थली विद्यापीठ राजस्थान ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का प्रभाव हमारी शिक्षा पद्धति पर व्यापक रूप से पड रहा है। ए.आई. वास्तव में वह तकनीक है जो किसी मशीन को मनुष्य की भांति सोचने, समझने और कार्य करने हेतु विकसित की गई है। आज चेट जीपीटी, एलेक्सा तथा गूगल असिस्टेंट इत्यादि कई प्रकार के ऑनलाईन प्लेटफार्म है जिनके पास सभी प्रकार का डेटा है एवं आवश्यकतानुसार किसी भी टास्क को पूरा करने में सक्षम है। छात्राओं ने चेट जीपीटी के बारे में प्रश्न पूछे तथा उनके बारे में जानकारी प्राप्त की।

विषय विशेषज्ञ डॉ. अमिताभ शुक्ला सहायक प्राध्यापक माखनलाल चतुर्वेदी महाविद्यालय माखननगर ने कहा कि म.प्र. उच्च शिक्षा विभाग ने एनईपी के साथ टेक्नालॉजी के माध्यम से शिक्षा प्रदान करने पर जोर दिया गया। भविष्य में टेक्नालॉजी कभी भी शिक्षकों को स्थानांतरित नहीं करेगी बल्कि शिक्षकों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने में सहायता प्रदान करेगी।

एम. ए. समाज कार्य विभाग की छात्रा कुमारी नोशीबा खान अपने पीपीटी के माध्यम से विचार प्रस्तुत करते हुए प्रौद्योगिकी के महत्व एवं उपयोग पर प्रकाश डाला।

एम. ए. समाज कार्य विभाग की छात्रा कुमारी शीतल पांडे ने पीपीटी के माध्यम से आधुनिक समाज पर प्रौद्योगिकी के द्वारा पडने वाले प्रभाव का वर्णन किया।

राष्ट्रीय वेबीनार सचिव डॉ. हर्षा चचाने ने कहा कि प्रौद्योगिकी की विद्यार्थी और शिक्षक दोनों को लाभान्वित करती है।

सहसचिव डॉ. कंचन ठाकुर ने कहा की प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में निरंतर प्रगति न केवल विद्यार्थी को अनगिनत ऑनलाइन संसाधनों तक पहुंच प्रदान करती है।

कार्यक्रम का सफल संचालन सहसंयोजक डॉ. रागिनी सिकरवार के द्वारा किया गया तथा आभार कार्यक्रम सचिव डॉ. हर्षा चचाने द्वारा किया गया कार्यक्रम में लगभग 100 से अधिक प्राध्यापक विद्यार्थी शोधार्थी सम्मिलित हुए।

इस अवसर पर डॉ. श्रीकांत दुबे, डॉ. अरूण सिकरवार, डॉ. हेमंत चौधरी, डॉ. मनीष चंद्र चौधरी, डॉ. आशीष सौहगोरा, श्री शैलेन्द्र तिवारी, श्री बलराम यादव, श्री मनोज सिसोदिया, श्री राजेश यादव ने सक्रिय सहयोग प्रदान किया।

 

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